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कुल्लू के बिजलेश्वर महादेव, एक अनोखा शिव मन्दिर

बिजलेश्वर महादेव , जिनके दर्शन करते ही आँखें नम हो जाती हैं, मन भावविभोर हो जाता है। जिव्हा एक ही वाक्य उच्चारण करती है - त्वं शरणम ।

हमारा देश विचित्रताओं से भरा पड़ा है। तरह-तरह के धार्मिक स्थान, तरह-तरह के लोग, तरह-तरह के मौसम। यदि अपनी सारी जिंदगी भी कोई इसे समझने, घूमने में लगा दे तो भी शायद पूरे भारत को देख समझ ना पाये। यहां ऐसे स्थानों की भरमार है कि उस जगह की खासियत देख इंसान दांतों तले उंगली दबा ले।

ऐसा ही एक अद्भुत स्थल है, हिमाचल में बिजलेश्वर महादेव। जिसे बिजली महादेव या मक्खन महादेव के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल के कुल्लू शहर से 18कीमी दूर, 7874 फिट की ऊंचाई पर मथान नामक स्थान में स्थित है, शिवजी का यह प्राचीन मंदिर। इसे शिवजी का सर्वोत्तम तप स्थल माना जाता है। पुराणों के अनुसार जालन्धर दैत्य का वध शिवजी ने इसी स्थान पर किया था। इसे कुलांत पीठ के नाम से भी जाना जाता है।

यहां स्थापित शिवलिंग पर या मंदिर के ध्वज दंड़ पर हर दो-तीन साल में वज्रपात होता है। शिवलिंग पर वज्रपात होने के उपरांत यहां के पुजारीजी बिखरे टुकड़ों को एकत्र कर उन्हें मक्खन के लेप से जोड़ फिर शिव लिंग का आकार देते हैं। इस काम के लिये मक्खन को आस-पास नीचे बसे गांव वाले उपलब्ध करवाते हैं। कहते हैं कि पृथ्वी पर आसन्न संकट को दूर करने तथा जीवों की रक्षा के लिये सृष्टी रूपी लिंग पर यानि अपने उपर कष्ट का प्रारूप झेलते हैं भोले भंडारी। यदि बिजली गिरने से ध्वज दंड़ को क्षति पहुंचती है तो फिर पूरी शास्त्रोक्त विधि से नया ध्वज दंड़ स्थापित किया जाता है।

मंदिर तक पहुंचने के लिए कुल्लु से बस या टैक्सी उपलब्ध हैं। व्यास नदी पार कर 15किमी का सडक मार्ग चंसारी गांव तक जाता है। उसके बाद करीब तीन किलोमीटर की श्रमसाध्य, खडी चढ़ाई है जो अच्छे-अच्छों का दमखम नाप लेती है। उस समय तो हाथ में पानी की बोतल भी एक भार सा महसूस होती है।

मथान के एक तरफ़ व्यास नदी की घाटी है, जिस पर कुल्लु-मनाली इत्यादि शहर हैं तथा दूसरी ओर पार्वती नदी की घाटी है जिस पर मणीकर्ण नामक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। उंचाई पर पहुंचने में थकान और कठिनाई जरूर होती है पर जैसे ही यात्री चोटी पर स्थित वुग्याल मे पहुंचता है उसे एक दिव्य लोक के दर्शन होते हैं। एक अलौकिक शांति, शुभ्र नीला आकाश, दूर दोनों तरफ़ बहती नदियां, गिरते झरने, आकाश छूती पर्वत श्रृंखलाएं किसी और ही लोक का आभास कराती हैं। जहां आंखें नम हो जाती हैं, हाथ जुड जाते हैं, मन भावविभोर हो जाता है तथा जिव्हा एक ही वाक्य का उच्चारण करती है - त्वं शरणं।

कण-कण मे प्राचीनता दर्शाता मंदिर पूर्ण रूप से लकडी का बना हुआ है। चार सीढियां चढ़, दरवाजे से एक बडे कमरे मे प्रवेश मिलता है जिसके बाद गर्भ गृह है जहां मक्खन मे लिपटे शिवलिंग के दर्शन होते हैं। जिसका व्यास करीब ४ फ़िट तथा उंचाई २.५ फ़िट के लगभग है। ऊपर बिज़ली-पानी का इंतजाम है। आपात स्थिति मे रहने के लिये कमरे भी बने हुए हैं। परन्तु बहुत ज्यादा ठंड हो जाने के कारण रात मे यहां कोई नहीं रुकता है। सावन के महिने मे यहां हर साल मेला लगता है। दूर-दूर से ग्रामवासी अपने गावों से अपने देवताओं को लेकर शिवजी के दरबार मे हाजिरी लगाने आते हैं। वे भोले-भाले ग्रामवासी ज्यादातर अपना सामान अपने कंधों पर लाद कर ही यहां पहुंचते हैं। उनकी अटूट श्रद्धा तथा अटल विश्वास का प्रतीक है यह मंदिर जो सैकडों सालों से इन ग्रामिणों को कठिनतम परिस्थितियों मे भी उल्लासमय जीवन जीने को प्रोत्सहित करता है। कभी भी कुल्लु-मनाली जाना हो तो शिवजी के इस रूप के दर्शन जरूर करें।

कुछ सालों पहले तक चंसारी गांव के बाद मंदिर तक कोई दुकान नहीं होती थी। पर अब जैसे-जैसे इस जगह का नाम लोग जानने लगे हैं तो पर्यटकों की आवा-जाही भी बढ गयी है। उसी के फलस्वरूप अब रास्ते में दसियों दुकानें उग आयीं हैं। धार्मिक यात्रा के दौरान चायनीज और इटैलियन व्यंजनों की दुकानें कुछ अजीब सा भाव मन में उत्पन्न कर देती हैं।

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Aditya Pandey is a well-known Indian Blogger, SEO Expert, and YouTuber. He is the founder and CEO of MyDigital Crown, a Digital Marketing Company that provides Digital Marketing Services, SEO
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