Lokgeet : Dashrath Putra bhaye avdhe
इंद्रधनुष ऊपर देला हो,
केहि रोकेला जग्य |
केहि रोकेला जग्य |
केहियासा से पुत्र भये कहवा,
उहे तुरे ला, धनुष बाण |
राज जनक धनुष, ऊपर देले हो,
जग्य रोके वासुदेव, जग्य रोके वासुदेव |
दशरथ पुत्र भये अवधे,
उहे तोरे ला धनुष बाण |
दशरथ पुत्र भये अवधे,
उहे तोरे ला धनुष बाण |
अपनी सोनवा सी सीता रानी हो ,
जिया खेली, जनक प्यारी हो |
देले विप्र के हाथ,
साँझ भइल विप्र, विसबे ले हो
विप्र पहुंचे ददरवा
साँझ भइल विप्र, विसबे ले हो
विप्र पहुंचे दरवा |