भारत देश में एक आदरणीय समाज है जिनको हम सभी साधु संत कह कर संबोधित करते है। ये देश के और समाज के बड़े सम्मानित लोगो में शामिल है। कहते है साधु ही भगवान तक पहुंचने में जल्दी शक्षम होता है। संधू संत समाज हमेशा से ही आम लोगो के हित के बारे में सोचते है पर उनका स्वयं का जीवन वे भगवान के लिए अर्पित कर देते हैं। साधु संतो के भी घर होते हैं जिन्हे हम अखाडा कह कर बुलाते है। भारत देश में कई अखाड़े है जो न जाने कितने वर्षो से है।पर क्या आप जानते है भारत में कितने अखाड़े है। और कहा है। अगर आप १० लोगो से पूछोगे तो शायद कोई एक या दो लोग ही कुछ एक या दो के नाम बता पाए।आज आपको ट्रेंडिंग न्यूज़ वाला उन अखाड़ों की जानकारी देना चाहता है। आप सभी से निवेदन है आप अपने मित्रो या परिवार वालो के इन जानकारी को शेयर करे ताकि अखाड़ों में रहने वाले साधु संतो को भी लगे की समाज उनके साथ है।

निर्वाणी अनी
शावती भगवान शिव के अनुयायी हैं जिन्हें संन्यासी भी कहा जाता है, इसमें सबसे अधिक संख्या में अखाडा और साथ ही साधु, संत और नागा साधु हैं। यहाँ सात निर्वाणियों और अखाडा हैं।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की स्थापना संवत ८०५ मार्गशीर्ष सुदी १० दिन गुरुवार , सन ७५९ में गढ़कुंडा के मैदान में श्री सिद्धेश्वर मंदिर में स्वामी रूप गिरीजी , स्वामी उत्तम गिरीजी सिद्ध , स्वामी रामरूप गिरीजी सिद्ध , स्वामी शंकर पुरी मौनी , स्वामी भवानी पुरी उर्ध्वबाहू , स्वामी देव वन मौनी , स्वामी ओंकार भारती , स्वामी पूर्णानंद भारती आदि सर्वश्री संन्यासियों ने की ! वर्तमान में इस अखाड़े को '' श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी '' के नाम से जाना जाता है ! इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान् श्री कपिल महामुनि जी ( ऋषि कर्दम जी के पुत्र ) है ! अखाड़े का प्रधान कार्यालय प्रयाग में है !

श्रीपंच अटल अखाड़ा - वाराणसीश्री पंचायत अखाड़ा निरंजनी -ईलाहाबादतपोन्धी श्री आनंद आखा पंचायत- नासिकश्री पंचधनाम जुना अखारा - वाराणसीश्री पंचधनाम आवाह आखा - वाराणसीश्री पंचध्यानम पंचग्नी अखरा-जूनागढ़ दिगंबर ऐनीदिगंबर ऐनी में तीन प्रमुख अखाड़े और वैष्णव या भगवान विष्णु के अनुयायी शामिल हैं, जिन्हें बैरागी अखाडा के नाम से भी जाना जाता है, दिगंबर ऐनी अखाडा की सूची नीचे दी गई है।श्री दिगंबर अनि अखाडा-साबरकांठाश्री निर्वानी अन्नी अखाडा - अयोध्याश्री निर्मोही अनी अखाडा -मथुरा निर्मल अनी निर्मल अन्नी भी अपने तीन प्रमुख अखाड़े, जो उदासीन अखाडा या तटस्थ अखाड़े, ज्यादातर इलाहाबाद और हरिद्वार में स्थित के रूप में जाना जाता है।श्री पंचायत बडा उदासीन अखाडा -अलाहाबादश्री पंचायत अखरा नया उदसेन-हरिद्वारश्री निर्मल पंचायत आखाड़ा-हरिद्वार
जूना अखाड़ा (शैव)
जूना अखाड़ा पहले भैरव अखाड़े के रूप में जाना जाता था, क्योंकि उस समय इनके इष्टदेव भैरव थे जो कि शिव का ही एक रूप हैं। वर्तमान में इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं, जो कि रुद्रावतार हैं। इस अखाड़े के अंतर्गत आवाहन, अलखिया व ब्रह्मचारी भी हैं। इस अखाड़े की विशेषता है कि इस अखाड़े में अवधूतनियां भी शामिल हैं और इनका भी एक संगठन है।
अटल अखाड़ा (शैव)
इस अखाड़े के इष्टदेव गणेश जी है। इनके शस्त्र भालों को सूर्य प्रकाश के नाम से जाना जाता है। यह अखाड़ा अपने आप पर ही अलग है। इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते है। अन्य कोई इस अखाड़े में नहीं आ सकता है। मान्यता है कि इस अखाड़े की स्थापना सन् 647 में हुई थी। इसका केंद्र काशी है।
अवाहन अखाड़ा (शैव)
इस अखाड़े में महिला साध्वी को कोई दीक्षा या परंपरा नहीं कराई जाती है, बल्कि अन्य अखाड़ों में यह परंपरा है। यग जूना अखाड़े से सम्मिलित है। इस अंखाड़े के इष्टदेव दत्तात्रेय और गणेश जी है।
निरंजनी अखाड़ा (शैव)
यह अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है यानी कि इस अखाड़े में सबसे ज्यादा साधु उच्च शिक्षित है। इस अखाड़ा में करीब 50 महामंडलेश्र्चर है। इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय हैं, जो देवताओं के सेनापति हैं। निरंजनी अखाड़े के साधु शैव हैं व जटा रखते हैं।
अग्नि अखाड़ा (शैव)
इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है। कोई अन्य नहीं ले सकते हैं। इस अखाड़े के साधु नर्मदा-खण्डी, उत्तरा-खण्डी व नैस्टिक ब्रह्मचारी में विभाजित है।
महानिर्वाणी अखाड़ा (शैव)
यह एक मात्र अखाड़ा है जो कि भगवान शिव की पूजा सदियों से करते चले आ रहे है। यह अखाड़ा है जिसके जिम्मे महाकलेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा है। इस अखाड़े के अलावा कोई और पूजा नहीं कर सकता है।
आनंद अखाड़ा (शैव)
यह शैव अखाड़ा है जिसे आज तक एक भी महामंडलेश्वर नहीं बनाए गए है। इस अखाड़े के आचार्य का ही पद ही प्रमुख होता है। इस अखाड़े के इष्टदेव सूर्य हैं।
दिंगबर अणि अखाड़ा (वैष्णव)
इस अखाड़े को वैष्णव संप्रदाय में राजा कहा जाता है। इस अखाड़े में सबसे ज्यादा खालसा यानी कि 431 है। यह अखाड़ा लगभग 260 साल पुराना है। सन 1905 में यहां के महंत अपनी परंपरा में11वें थे।
निर्मोही अणि अखाड़ा (वैष्णव)
वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से इसी से सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल है। जिनकी संख्या 9 है। इस अखाड़ा की स्थापना 18वीं सदी के आरंभ में गोविंददास नाम के संत ने की थी।
निर्वाणी अणि अखाड़ा (वैष्णव)
इस अखाड़े में कुश्ती प्रमुख होती है यानि की इनके जीवन का एक हिस्सा होता है। इसी कारण इस अखाड़े के कई संत प्रोफेशनल पहलवान रह चुके है। इसकी स्थापना अभयरामदासजी नाम के संत ने की थी। आरंभ से ही यह अयोध्या का सबसे शक्तिशाली अखाड़ा रहा है। हनुमानगढ़ी पर इसी अखाड़े का अधिकार है। इस अखाड़े के साधुओं के चार विभाग हैं- हरद्वारी, वसंतिया, उज्जैनिया व सागरिया।
बड़ा उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
इस अखाड़े का सिर्फ एक काम होता है। वह है सेवा करना। इस अखाड़े में केवल 4 मंहत होते है। जो कभी कामों से निवृत्त नहीं होते है। जो कि इस क्रम में है 1. अलमस्तजी का पंक्ति का, 2. गोविंद साहबजी का पंक्ति का, 3. बालूहसनाजी की पंक्ति का, 4. भगत भगवानजी की परंपरा का।
नया उदासीन अखाड़ा (सिक्ख)
ये अखाड़ा उन लोगों के लिए है जिनकी दाढी-मूंछे न निकली हो। जिनकी उम्र 8 से 12 साल के बीच है। तभी उन्हे नागा बनाया जाता है। इस अखाड़े का पंजीयन 6 जून, 1913 को करवाया गया।
निर्मल अखाड़ा (सिक्ख)
इस अखाड़ा में औरों अखाड़ों की तरह धूम्रपान की इजाजत नहीं है। यहां पर धूम्रपान बिल्कुल वर्जित है। इस बारें में अखाड़े के सभी केंद्रों के गेटो पर यह लिखा हुआ है। ये सफेद कपड़े पहनते हैं। इसके ध्वज का रंग पीला या बसंती होता है और ऊन या रुद्राक्ष की माला हाथ में रखते हैं।
किन्नर अखाड़ा

अभी तक कुंभ में 13 अखाड़ों की पेशवाई होती थी, लेकिन इस बार कुंभ में किन्नर अखाड़ा भी शामिल हो चुका है। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।
ऐतिहासिक क्षण अखाड़े के लिए आया था जब यह बनने के लगभग तीन साल बाद और उज्जैन कुंभ में भाग लिया जहां इसने अपनी पहली पेशवाई की। ऊंट महामंडलेश्वर, स्वामी लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, एक ऊंट के साथ, पितृसत्तात्मक व्यवस्था के लिए केवल एक संदेश था कि वह उल्लंघन करने की कोशिश कर रहा है। उन्होने कहा “हमें 13 अखाड़ों से प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है। हम सनातनी हिंदू हैं और शास्त्रों ’के अनुसार हम उपदेवता हैं। हम यहां से बाहर रखने के प्रयासों के बावजूद यहां हैं।
इलाहाबाद में किन्नर अखाड़ा की पेशवाई यात्रा, भारत भर के सैकड़ों किन्नरों या ट्रांसजेंडरों ने भाग लिया, जो रंगों के एक दंगा, डिस्को बीट्स द्वारा चिह्नित किया गया था, देवों के साथ पान से सुसज्जित देशभक्ति संगीत बैंड और फूलों की वर्षा भी हुई। जुलूस में बहुत कम भगवा थे, इसे कुंभ में अन्य धार्मिक जुलूसों के अलावा स्थापित किया।